शिक्षा सचिव के निर्देशों को खुलेआम चुनौतियां देते हैं, विभाग के संस्थापक व विभाग के अधीनस्थ कर्मी

75% छात्र-छात्राओं की उपस्थिति की अभिलेख की हवाला देते हुए, छात्राओं से 5 गुना अधिक फीस लेने की की गई कोशिश


जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट


कैमूर ।। बिहार प्रदेश के शिक्षा सचिव के निर्देशों को खुलेआम चुनौतियां देते हैं, शिक्षा विभाग के संस्थापक व विभाग का अधीनस्थ कर्मी। आपको बताते चलें 1990 बैच के आईएएस अधिकारी केशव कुमार पाठक उर्फ के के पाठक वर्तमान बिहार सरकार के शिक्षा सचिव, शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद से लगातार चर्चा में, तथाकथित बातें उनके कमान संभालने के बाद से शिक्षा विभाग में सुधार आ रहा है। जबकि धरातल पर देखा जाए तो उन्हीं के द्वारा निर्देशित 75 प्रतिशत की उपस्थिति नहीं होने की स्थिति में, नामांकन रद्द करने की अभिलेखों  का हवाला देते हुए, विगत सोमवार को कैमूर जिला के रामगढ़ नगर पंचायत स्थित ग्राम भारती बालिका ज्ञानपीठ के प्रधानाध्यापिका द्वारा विद्यालय के छात्राओं से 675 रुपए की चार्ज की जगह 2975 रुपए की मांग किया जा रहा था, जिसका की छात्राओं द्वारा विरोध किया जानें लगा, खबर हवा की तरह फैल गया। स्थानीय मीडिया कर्मीयों सहित स्थानीय थाना प्रशासन स्थल पर पहुंचे छात्राओं की परेशानियों को सुनें, छात्राओं द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया कि हम सभी से 5 गुना शुल्क मांग किया जा रहा है। जिस संदर्भ में मीडिया कर्मियों से वार्तालाप के दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापिका द्वारा मीडिया कर्मियों के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है, कि शिक्षा सचिव के के पाठक का 75% उपस्थित न होने पर नामांकन रद्द करने की निर्देशों के तहत यदि हम समझौता करते हुए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो इसी के लिए। उपस्थित मीडिया कर्मि प्रत्यक्ष रूप से उनके द्वारा बोले गए शब्दों को रिकॉर्ड करने में असमर्थ रहें। अध्यापिका द्वारा महिला विद्यालय का हवाला देते हुए, लोकतंत्र के आईने को भी उल्टा आईना दिखा दिया गया, जिससे कि मीडिया कर्मी स्तब्ध हो गए। संदर्भ में स्थानीय थाना अध्यक्ष पुलिस निरीक्षक शशि भूषण कुमार की होने जानकारी पर , जब दूरभाष के माध्यम से उनसे वार्तालाप किया गया तो उनके द्वारा मामले की जानकारी होने की बातों से ही इनकार कर दिया गया। संदर्भ में मंगलवार को कैमूर शिक्षा पदाधिकारी के दूरभाष नंबर पर संपर्क करने पर उनके द्वारा व्यस्तता होने की हवाला देते हुए किसी भी तरह का विश्वास जनक जवाब नहीं दिया गया।

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