
पूर्व गवर्नर, मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का निधन
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Oct 19, 2018
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सत्यवेन्द्र यादव आजाद
इलाहाबाद । यूपी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी थे, आंध्र प्रदेश के पूर्व गवर्नर थे एनडी तिवारी, 92 साल की उम्र में एनडी तिवारी का निधन, लम्बे समय से बीमार चल रहे थे एनडी तिवारी, दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती थे तिवारी, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शोक व्यक्त किया, उत्तराखंड तिवारी के योगदान को नहीं भुला पाएगा, यूपी के 4 बार मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी, उत्तराखंड के एक बार मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी, केंद्र में मंत्री भी रहे एनडी तिवारी, नैनीताल के बलूती गांव में 1925 में हुआ था जन्म, भारत छोड़ो आंदोलन में जेल भी गए थे एनडी तिवारी।
नई दिल्ली-यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम एन डी तिवारी का निधन हो गया जानिए क्या था उनका राजनीतिक सफर
राजनीतिक सफर
• वर्ष 1952 में, प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र से एक विधायक के रूप में चुने गए।
• वर्ष 1957 में, वह फिर से नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में चुने गए और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
• वर्ष 1963 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
• वर्ष 1965 में, वह काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए और उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
• वर्ष 1969-1971 में, वह भारतीय युवा कांग्रेस पार्टी के पहले अध्यक्ष बने।
• जनवरी 1976 में, वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
• वर्ष 1979-1980 में, उन्होंने चौधरी चरण सिंह सरकार में वित्त और संसदीय मंत्री के रूप में कार्य किया।
• अगस्त 1984 में, वह दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
• जून 1988 में, वह तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
• वर्ष 1994 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
• वर्ष 1995 में, उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर स्वयं की पार्टी "अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस" (तिवारी) का गठन किया।
• वर्ष 1996 में, उन्हें 11वीं लोकसभा के लिए चुना गए।
• वर्ष 1997 में, वह फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
• वर्ष 1999 में, वह 13 वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
• वर्ष 2002 में, वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप चुने गए।
• अगस्त 2007 में, वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किए गए
दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ
बताया जा रहा है कि एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर तिलक लेन कोठी नंबर 9 ले जाया जाएगा। शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा।उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारें मिलकर निर्णय करेंगी कि तिवारी का अंतिम संस्कार कहां होगा।
नारायण दत्त तिवारी देश के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। वह नेहरू-गांधी के दौर के उन चंद दुर्लभ नेताओं में थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान दिया।
केंद्र में वित्त, विदेश, उद्योग, श्रम सरीखे अहम मंत्रालयों की कमान संभाल चुके एनडी तिवारी को जब उत्तराखंड सरीखे छोटे राज्य की कमान सौंपी गई तो उत्तराखंड की आंदोलनकारी शक्तियां असहज और स्तब्ध थी।
उत्तराखंड के विकास में एनडी का अहम योगदान
जानकारों की मानें तो जिस समय एनडी तिवारी को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, उस वक्त एनडी तिवारी उत्तराखंड में अवस्थापना विकास और उद्योग की आधारशिला रखने में कामयाब हुए थे।
उनके अनुयायियों ने एनडी के लिए विकास पुरुष की उपमा गढ़ी। उनके पक्ष और विपक्ष में बैठे प्रतिद्वंद्वी भी उत्तराखंड के विकास में एनडी के योगदान की दाद देते हैं।
मुख्यमंत्री बनने के बाद एनडी ने अपने केंद्रीय रिश्तों के दम पर निवेशकों को उत्तराखंड आने को विवश किया। राजमार्गों और सर्किल मार्गों को रिकॉर्ड समय में तैयार कराया। नये राज्य की तरक्की उनके विजन से ही उनके उत्तराधिकारी आगे की राह तैयार करते आए हैं।
सपा से नजदीकी और भाजपा को समर्थन
एनडी तिवारी खांटी कांग्रेसी रहे, पर उनके राजनैतिक संपर्क और नजदीकियों को लेकर सवाल रहा। यूपी प्रवास के दौरान वह समाजवादी पार्टी के करीब रहे। उनके बेटे को तत्कालीन सपा सरकार ने एक ओहदा के साथ तमाम सुविधाएं प्रदान की। मुलायम यादव और अखिलेश के विवाद में उन्होंने हस्तक्षेप किया था और बाकायदा मुलायम को पत्र लिखते हुए अखिलेश का आशीर्वाद देने की सलाह दी थी।
एनडी भले यूपी में सपा के रंग में दिखते हो, इसके बाद वह जैसे ही यूपी सीमा खत्म होते ही उत्तराखंड की सीमा में पहुंचते कांग्रेस के नजदीक आ जाते। तमाम कांग्रेस के आला नेता उनके आसपास डेरा डाले रहते। इस 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने पहुंचे और दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात तक भी की। इस राजनैतिक यू टर्न को लेकर भी तरह-तरह की चर्चा रही
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