
जागो महाकाल !
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Mar 02, 2022
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कविता ----डॉ एम डी सिंह
भस्म हो रहा समय खोलो तो दृग
होने को दिख रहा भुवन अवशेष
जागो जागो जागो हे भुवनेश
डम डमक डमक डमरु की ताल पर
कब नाचोगे
ठम ठमक ठमक शिवा एक टांग कब
नटराजोगे
धरती स्तब्ध धुआं धुआं हुआ निलेश
जागो जागो जागो हे भुवनेश
तन भभूत पोत मृग छाल लपेट
गला सर्प डाल
जकड़ त्रिशूलदंड पटको पैर प्रचंड
ले कर कपाल
बिखरा बिखरा बिखरा फिरसे केश
जागो जागो जागो हे भुवनेश
पाकर वर हाथों में भस्मासुर सा
दिखता दानव
करने त्रिपुर पर राज मनमानी
निकला मानव
महाकाल शंकर शंभू रुद्र महेश
जागो जागो जागो हे भुवनेश
रिपोर्टर