कबूतरों को अपनी ही बालकनी में दाना डालने पर सिविल कोर्ट ने लगाई पाबंदी

ठाणे(रविशंकर मिश्रा) ।। अगर आप पशु-पक्षी प्रेमी हैं और उनके लिए दाना और पानी की व्यवस्था करते हैं, तो यह एक सराहनीय काम है, लेकिन अगर इसी कार्य की वजह से आपके हाउसिंग सोसायटी के किसी सदस्य को परेशानी होती है, तो उसका हल भी निकालना चाहिए। शहर की एक सिविल कोर्ट ने 10 साल बाद एक परिवार को घर के बालकनी और खिड़की में पक्षियों को दाना खिलाने पर रोक लगा दी। पक्षियों को दाना डालने के बाद होने वाली परेशानियों से तंग आकर एक दंपती ने सिविल कोर्ट में 2011 में वाद दायर किया था।

वर्ली की वीनस हाउसिंग सोसायटी में दिलीप शाह (71) का फ्लैट है। उनके फ्लैट के ठीक ऊपर फ्लैट रहने वाले जिगिशा और पद्‌मा ठाकोरे रहते हैं। जिगिशा पशु-पक्षी कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपनी बालकनी में पक्षियों के बैठने और खाने के लिए एक मेटल-ट्रे अथवा एक बड़ा प्लैटफॉर्म बनवाया। दिलीप शाह और उनकी पत्नी मीना (68) ने आरोप लगाया कि इसके बाद बड़ी संख्या में पक्षी, कबूतर आने लगे।

बुजुर्ग दंपती ने पशु-पक्षी कार्यकर्ता से परेशानियों के बारे में बताया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इस बारे में बुजुर्ग दंपती ने हाउसिंग सोसायटी से भी शिकायत की, लेकिन वहां भी कोई हल नहीं निकला। इसके बाद बुजुर्ग दंपती ने अपने वकील के जरिए 2011 में मुंबई सिविल कोर्ट में जिगिशा ठाकोरे और पद्‌मा ठाकोरे के खिलाफ वाद दायर किया। शाह ने अपने वाद में कहा कि उनके फ्लैट में पक्षियों की बीट और पक्षियों को दिए जाने वाले दाने नीचे गिरते हैं। दानों में छोटे कीड़े होते थे, जो उनके घर में आ जाते थे। इससे उनकी बालकनी में बदबू आती है और घर की बालकनी और विंडो की सफाई में दिक्कतें आती थी।

वाद के मुताबिक, बुजुर्ग महिला को पहले से ही त्वचा की दिक्कतें थीं, फ्लैट की बालकनी में गिरने वाले दाने और अन्य वजहों की वजह से उनकी दिक्कतें बढ़ गईं। इस बारे में पशु- पक्षी कार्यकर्ता ठाकोरे परिवार को जानकारी दी गई, तो वे उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिए, बल्कि ठाकोरे परिवार ने उलटे बुजुर्ग दंपती से ही कहा कि वे पक्षियों को दाना-पानी डालने जैसे दया-भाव के काम करते हैं। उनके कामों में अड़ंगा लगाने की बजाय पड़ोसी होने के नाते दाना नीचे गिरने पर बर्दाश्त करें। मामले में सुनवाई की दौरान एक प्रतिवादी पद्‌मा की मौत हो चुकी है। पूरे मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद सिविल कोर्ट के अडिशनल सेशन जज ए़ एच़ लड्डाड ने कहा, ‘पक्षियों को मेटल-ट्रे में दाना डालकर खिलाने वाले ठाकोरे परिवार का बर्ताव बुजुर्ग दंपती को परेशान करने वाला है, क्योंकि उनकी बालकनी इस परिवार की बालकनी के ठीक नीचे है।’ इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में ठाकोरे परिवार और उनके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा बालकनी में पक्षियों को दाना खिलाने पर स्थाई रूप से रोक लगा दी।

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