ऐ हवा ऐ दोस्त - डॉ एम डी सिंह

ऐ हवा ऐ दोस्त आओ चल कर नहा लें 
धूल बैठी है युगों की धो कर बहा लें

मैल कितना और वस्त्रों पर हो इकट्ठा
ला चल उनको साबुन लगा धुलें तहा लें

कहने लगे हैं लोग अब हमको प्रदूषित
आ झटकें राख़ बगूला हम भी कहा लें

एक शैतान घुस मध्य उपद्रव कर रहा है
और कितना सहें चल उससे भी सहा लें

तेरे लिए हुई कम फुसफुस में जगह क्यों
ए पवन चल कर जांच करवा लें थहा लें

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