भ्रस्टाचार के खिलाफ न बोलने वाले को न चुने गांव का प्रधान

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया है तथा लगभग सभी गांवों में राजनीति का पारा ऊपर सरकने लगा है, कुछ पूर्व प्रधानों नें विकास की एक मिसाल कायम की है तथा कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार में मिसाल कायम कर दिया है। विकास की धारा बहाने वाले जनप्रतिनिधियों को फिर से जनता को नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करते हुए समर्थन करना चाहिए। डिजिटल युग मे सभी पूर्व प्रधानों का लेखा जोखा जनता के सामने बस एक 'क्लिक' की दूरी पर है और गूगल बाबा पूरा चिट्ठा सामने ला देते हैं। गांव का युवा वर्ग अब जागरूक हो चला है जो भ्रष्ट प्रधानों के क्रियाकलापों को गांव के सामने रख दे रहा है यह एक बड़ी क्रांति के रूप में अगले पंचायत चुनावों में देखा जा सकता है।

अब बात आती है कि कुछ लोग अगले जनप्रतिनिधि के रूप में अपने को स्थापित जरूर करना चाहते हैं लेकिन भ्रष्टाचार और भ्रष्ट पूर्व जनप्रतिनिधि के बारे में पूरे पांच वर्ष आवाज नही उठाते तो क्या ऐसे लोग गांव का नेतृत्व करने में सक्षम हो सकते हैं ?? अवश्य ही ऐसे लोग अगर जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे तो यह गांव की लुटिया डुबाने का ही काम करेंगे। गांव के मतदाताओं को ऐसे लोगों से सतर्क रहना चाहिए। कई जगहों पर प्रधान पद पाने के लिए वर्ष भर पूर्व ही तैयारी शुरू हो गयी है जैसे कि गरीबों को मदद के नाम पर पैसे देकर ब्याज भी कमाना, मजबूरों की जमीन हथियाकर भी अपनी संवेदना प्रकट करना, बाटी चोखा व नशेड़ीयों को नशा उपलब्ध कराना। ऐसे भावी जनप्रतिनिधियों को यह जान लेना चाहिए कि अब उत्तर प्रदेश का युवा पढ़ा लिखा है और बहकावे में आने वाला नही। पहले के ढर्रे अब काम करने वाले नही।

युवा तय करेगा गांव की दशा और दिशा

युवा शक्ति जिसका प्रदर्शन लोगों ने पिछले राज्य व केंद्र के चुनाव में बखूबी देख लिया है उन्हें युवाओं के विचार को समझकर काम करना पड़ेगा, हर प्रतिनिधि को युवाशक्ति को समझना होगा। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में युवा वर्ग अहम भूमिका के साथ सामने आएगा इस लिए प्रधान पद के दावेदारों को युवाओं की विचारधारा पर काम करना होगा। 

भ्रष्टाचार पर जो रहा है चुप उसे न चुने जनप्रतिनिधि

पूर्व प्रधानों ने यदि भ्रष्टाचार किया है और उस पर चुप्पी साध रखने वाला यदि प्रधान पद के दावेदार के रूप में यदि किसी भी गांव में उम्मीदवार बनता है तो ऐसे लोगों को सबक सिखाना जरूरी है और सबक यह है कि इन्हें अपने अमूल्य मत से वंचित रखें क्योंकि यदि यह गलत के खिलाफ आवाज उठाने के काबिल नही है तो यह जनप्रतिनिधि बनने के काबिल भी नही। युवाओं अपनी कमर कस लो और योग्यता के आधार पर अपने जनप्रतिनिधि चुनो जिससे आपका और आपके गांव का विकास संभव हो सके।
अरविंद मिश्र 'निर्भीक'

रिपोर्टर

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