
क्या परप्रांतीय विरोधी है कल्याण का यह भाजपा पदाधिकारी ?
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Nov 23, 2020
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इस पोस्ट से क्या दर्शाने का प्रयास कर रहे मोरे
कल्याण ।। ऐसे तो महाराष्ट्र में भाजपा को हमेशा परप्रांतियों की हितैषी पार्टी माना जाता है लेकिन कल्याण के एक भाजपा पदाधिकारी द्वारा फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर ऐसी मंशा जाहिर की गई है कि परप्रांतियों से उन्हें नफरत है हालांकि वह खुद भी परप्रांतियों के समर्थक माने जाते हैं लेकिन कही न कहीं ऐसी पोस्ट को सोसल मीडिया पर शेयर कर उन्होंने परप्रांतियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है और हैरत तो यह कि उनकी फ्रेंडलिस्ट में ही भाजपा के अनेकों परप्रांतीय पदाधिकारी मौजूद हैं लेकिन किसी के द्वारा ऐसी पोस्ट शेयर न करने की चेतावनी नही दी गयी है।
भाजपा के मंडल अध्यक्ष संजय बाबूराव मोरे द्वारा उनके फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट शेयर की गई है जिसका हिंदी अनुवाद यह है कि "आघाड़ी सरकार द्वारा कोरोना काल मे 160 करोड़ खर्च कर परप्रांतियों को उनके राज्यों में भेजा गया लेकिन मराठी भाइयों के बिजली बिल माफ करने के लिए पैसे नही हैं।"
अब सवाल यह है कि इस तरह के वक्तव्य को शेयर करके क्या एक जिम्मेदार पद पर बैठे वो भी भाजपा जैसी पार्टी में (जोकि अपने आप को परप्रांतियों का शुभचिंतक बताते नही थकती) का ऐसा कथन शेयर करना उचित है? क्या परप्रांतीय भाजपा के लिए दिनरात एक करके मेहनत नही कर रहे ? और आपत्तिकाल में अगर आघाड़ी सरकार ने परप्रांतियों को उनके राज्यों में भेजा तो क्यों बुरा लग रहा है? क्या बिजली बिल के विरोध में परप्रांतीय नही हैं ? प्रांतगत राजनीति तो भाजपा का कभी एजेंडा नही रहा फिर संजय मोरे जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे भाजपा पदाधिकारी क्यों ऐसी भड़काऊ बातों को शेयर कर रहे हैं? परप्रांतियों का उनके राज्य में भेजा जाना क्या गलत था?
परप्रांतियों के भाजपा पदाधिकारी नेताओं को जरूर इस पर संज्ञान लेकर इसका विरोध दर्ज कराना चाहिए क्यों कि अगर यह पार्टी का विचार न होकर संजय मोरे का व्यक्तिगत विचार है तो भी यह हानिकारक है और भाईचारे में दरार पैदा करने वाला है तथा संजय मोरे को भी ऐसी पोस्ट शेयर करने से बचना चाहिए क्योंकि सच्चा नेता किसी जाति, वर्ग के दायरे से बंधा नही होता। अतः परप्रांतीय शब्द का प्रयोग कर नफरत की राजनीति के एजेंडे को विराम दें।
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