
कविता डर --- डॉ एम डी सिंह
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Oct 09, 2020
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डर वह चीज है जो लगा करता है जिंदगी भर
कहता है उसे नहीं लगता डरता है जिंदगी भर
बड़ी अजीब बात है कि आदमी जाने क्यूँ कर
मौत आती है इक बार मरता है जिंदगी भर
ढाई अक्षर भी नहीं याद कर पाता है आदमी
दिन रात सर डुबा कर वह पढ़ता है जिंदगी भर
मुसल्लम इमान ले जो पैदा होता है हर सक्स
उसको ही कमोबेस खर्च करता है जिंदगी भर
सच है कि झूठ?अक्सर यही सुनने में है आता
पिछले जन्म का आदमी भरता है जिन्दगी भर
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