दादी-नानी - डॉ एम डी सिंह

दादी हो की नानी हो तुम 
छुटकों की हैरानी हो तुम 
वे सब घेरे रहते तुमको 
दूध कटोरी पानी हो तुम

तुम्ही हो दादी कहलाती 
तुम्ही हो नानी बन जाती
तुम्हारे लिए बच्चे लड़ते 
तुम बैठी रहती मुस्काती

आर्या बोले नानी मेरी 
आभा कहती दादी मेरी 
गुल्लू सर पकड़े बैठा है
यह है कैसी हेरा फेरी 

बच्चों की ऐ सुनो सहेली
जादूपुड़िया और पहेली
कोई ठेले कोई खींचे
सहती कैसे भला अकेली 

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