
चंद्रग्रहण क्या है, सूतक का समय और इसके दुष्प्रभाव से कैसे बचें - पंडित रविशंकर शास्त्री
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Jul 25, 2018
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चंद्रग्रहण क्या है, सूतक का समय और इसके दुष्प्रभाव से बचने के उपाय-
ग्रहण के दिन सूतक लगने के बाद छोटे बच्चे, बुजुर्ग और रोगी के अलावा कोई व्यक्ति भोजन नहीं करें।
1. चंद्र ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है. ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हों. इस कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा तिथि को ही घटित होता है।
2. 27- जुलाई, 2018 शुक्रवार को साल का दूसरा चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा यानी 27 जुलाई,2018 (शुक्रवार) को होगा। ग्रहण रात 11:54 से शुरू होकर रात 3:49 बजे समाप्त होगा। 3 घंटे 55 मिनट चलेगा। चंद्र ग्रहण से पहले सूतक दोपहर 2 बजे से शुरू हो जायेगा।
3. ग्रहण का असर हर राशि पर पड़ता है लेकिन गर्भवती स्त्री और उसके होने वाले बच्चे के लिए इसे शुभ नहीं माना जाता. कहा जाता है कि किसी भी चंद्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है.
4. ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक शक्ति का संचार होता है. इसलिए इस समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं।
5. ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु अनिष्टकारक ग्रह माने गए हैं. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है, इस कारण सृष्टि अपवित्र और दूषित हो जाती हैं ।
सनातन धर्मानुसार ऋषि मुनियों ने इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय बताए हैं जो कि निम्न है:
1.ग्रहण में सभी वस्तुओं में कुश डाल देनी चाहिए कुश से दूषित किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि कुश जड़ी- बूटी का काम करती है.कुश डालने का महत्व-
2. जब भगवान् श्रीहरि ने वाराह अवतार धारण किया तब हिरण्याक्ष का वध करने के बाद जब पृथ्वी को जल से बहार निकाले और अपने को निर्धारित स्थान पर स्थापित किया। उसके बाद वाराह भगवान् ने भी पशु प्रवृत्ति के अनुसार अपने शरीर पर लगे जल को झाड़ा तब भगवान् वाराह के शरीर के रोम (बाल) पृथ्वी पर गिरे और वह कुश के रूप में बदल गये। चूँकि कुश घास की उत्पत्ति स्वयं भगवान वाराह के श्री अंगो से हुई है. अतः कुश को अत्यंत पवित्र माना गया.
3. ग्रहण में किसी भी भगवान की मूर्ति और तस्वीर को स्पर्श नहीं चाहिए. इतना ही नहीं सूतक के समय से ही मंदिर के दरवाजे बंद कर देने चाहिए.
4. ग्रहण के दिन सूतक लगने के बाद छोटे बच्चे, बुजुर्ग और रोगी के अलावा कोई व्यक्ति भोजन नहीं करे.
5. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मकता व्याप्त रहती है।
6. ग्रहण काल के समय प्रभु भजन, पाठ , मंत्र, जप सभी धर्मों के व्यक्तियों को करना चाहिए, साथ ही ग्रहण के दौरान पूरी तन्मयता और संयम से मंत्र जाप करना विशेष फल पहुंचाता है। इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। कहा जाता है कि इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर में किए गए दान और जाप के बराबर होता है।
7. ग्रहण के दिन सभी धर्मों के व्यतियों को शुद्ध आचरण करना चाहिए । वाणी से किसी को कष्ट नही पहुचाना चाहिए ।
8. किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहिए, सब के साथ करना चाहिए.
9. सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें, और मीठा बोलें.
10. ग्रहण के समय जाप, मंत्रोच्चारण, पूजा-पाठ और दान तो फलदायी होता ही है।
ग्रहण के समय इस पाठ और मंत्र का करें जाप
पाठ: दुर्गा सप्तशती कवच पाठ
मंत्र: ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै का पाठ भी कर सकते है।
विप्रचित्त नामक राछस जो राहु केतु के पूर्वज है उनको दुर्गा जी ने मारा था इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ चन्द्र ग्रहण के समय लाभकारी होते है ।
ज्योतिषियों के अनुसार चन्द्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है अत: जिन राशियों पर इसका प्रभाव हो उन्हें विशेष रूप से चन्द्र ग्रहण के समय जप और दान करना चाहिए । ग्रहण समाप्त होने के बाद पानी में गंगा जल डालकर स्नान करना हैं ।
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय किये जाने वाले जाप, दान और स्नान का लाखो गुना फल मिलता है और कुंडली के दोष भी कटते है ।
चन्द्र ग्रहण को ज्योतिष के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्र देव की पूजा करने का विधान है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि ग्रहण काल के दौरान सभी व्यक्तियों को श्वेत पुष्पों और चन्दन आदि से भगवान चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।
चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए।
ऊँ सों सोमाय नमः
धर्म सिंधु एवम देवी भागवत के अनुसार ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना बहुत लाभकारी रहता है. ग्रहण मोक्ष के उपरान्त पूजा पाठ, हवन, स्नान, छाया-दान, स्वर्ण-दान, तुला-दान, गाय-दान, मन्त्र जाप आदि श्रेयस्कर होते हैं। ग्रहण समय मे स्वर्ण दान, अन्न, , वस्त्र, फल, दूध, मीठा, स्वर्ण, चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं जैसे सफेद कपड़ा, मिश्री, चावल, घी, चीनी आदि का दान जो भी संभव हो अवश्य ही करना चाहिए। ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। ग्रहण काल के समय अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है । इस समय में किया गया दान, जप, ध्यान का फल पूरे वर्ष में किये गए पुण्य से बहुत ही ज्यादा होता है ।
भगवान वेदव्यास जी ने कहा है कि सामान्य दिन की अपेक्षा चन्द्रग्रहण में किया गया जप , तप, ध्यान, दान आदि एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। और यदि यह गंगा नदी के किनारे किया जाय तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।
देवी भागवत में कहा गया है कि ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुतुन्द नामक नरक में दुःख भोगता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है फिर काना, दंतहीन और अनेक रोगो से पीड़ित होता है।
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