खस्ताहाल सड़कें व साइंजिग, डाइंग कंपनियों से निकले धूर के कारण शहर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

भिवंडी।। भिवंडी शहर की खस्ताहाल सड़कें व डाइंग साइंजिग कंपनियों से निकलते धूर के कारण शहर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। जिसके कारण लोगों की सांसे थमने लगी है। शाम होते ही प्रदूषण के कारण वातावरण में अंधेरा छा  जाता है। यही नहीं सड़कों पर जमा धूल दिनभर उड़ती रहती है। नागरिक भी इसी धूल में रहने के लिए मजबूर है। शहर की व्यस्त सड़कों पर शाम होते ही स्माग के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानियां हो रही है। कुछ इलाकों में अभी से विजिबिलिटी बढ़ने लगी है। जिसके कारण कुछ मीटर की दूरियां भी साफ नजर नही आती  है। सुबह से ही सड़कों पर धुंध की एक मोटी परत दिखाई पड़ती है। शहर के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बहुत की खतरनाक श्रेणी में पहुँचती है। भिवंडी शहर में वायु गुणवत्ता मापने के लिए तीन जगहों पर मशीनरी लगाई गई है। इसके लिए बकायदे शासन ने ठेकेदारी पद्धति से चार कर्मचारियों की नियुक्ति की है। भिवंडी शहर के उपजिला स्वं इंदिरा गांधी अस्पताल के सामने फायर स्टेशन के ऊपरी मंजिल पर स्थापित वायु गुणवत्ता मापन की मशीन कई वर्षों से बंद पड़ी है। यही नहीं वाराला देवी मंगल भवन सार्वजनिक हाल के छत पर लगी मशीनरी में जंग लग चुका हैं। इसके अलावा भादवड गांव के संपदा नाइक हाल के छत पर लगी मशीन अभी तक चालू नहीं है। वायु गुणवत्ता नापने के लिए लैब नहीं होने के कारण काम सुचारु रूप से अभी शुरू नहीं हुआ है। हालांकि इन मशीनरी पर काम करने वाले केमिस्ट व क्षेत्र सहायक कर्मचारी दिनभर अन्य कार्यों में व्यस्त रहते है। शहर में 113  साइंजिग डाइंग कंपनियां संचालित है। इन कंपनियों के वायलर में कपड़े की चिंदी, कतरन, लकड़ी, रबर, गत्ता, टार्यरस आदि जलाने से बड़े पैमाने पर चिमनियों से धुंआ व राख उड़ती है। चिमनियां की उचाई कम होने और इनकी दशा खस्ताहाल होने के कारण नागरिकों के बस्तियों में धुंआ व राख पहुँचता है। यही नहीं कंपनियां पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल का नियंत्रण नहीं होने के कारण इनका मनोबल भी बढ़ा है। हालांकि अधिकांश कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रण मंडल कल्पना विभाग द्वारा क्लोजर नोटिस जारी होने के बावजूद धड़ल्ले से चालू है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट