कोविड टीकाकरण में गर्भवती महिलाओं का कम आना बना चिंता का विषय, स्तनपान व गर्भवती महिलाओ को वैक्सीन लेना जरूरी

कल्याण।। कल्याण पूर्व स्थित बालाजी हॉस्पिटल के प्रसूति रोग तज्ञ डॉ.मीनाक्षी उपाध्याय ने कहा कि संभव हो तो दोनों डोज टीका गर्भावस्था के 36‌ वें सप्ताह से पहले ले लेना चाहिए। क्योंकि सामान्य तौर 36 सप्ताह के बाद बच्चे को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।

कोरोना से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को टीका लगने लगा है। हालांकि, अभी टीके के प्रति उनमें हिचकिचाहट है इसलिए टीका लगवाने से पहले गर्भवती महिलाएं डाक्टरों से संपर्क कर रही हैं किन्तु बहुत ही कम संख्या में टीकाकरण करवाने के लिए महिलाएं आती है जो चिंता का विषय है। डाॅक्टरों के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए टीका लगवाना जरूरी है। क्योंकि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में गर्भवती महिलाएं अधिक प्रभावित हुए हैं और मौतें भी ज्यादा हुई है।

बालाजी अस्पताल के डॉ.मीनाक्षी उपाध्याय कहा कि गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य व बच्चे पर टीके के दुष्प्रभाव को लेकर सवाल पूछ रही हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि दूसरी लहर में गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु को भी कोरोना ने नुकसान पहुंचाया है.टीका लगाने पर तात्कालिक रूप से कोई परेशानी नहीं है। नौ माह के गर्भावस्था में कभी भी टीका लिया जा सकता है.कई देशों में संक्रमण बढ़ रहा है। अमेरिका में 90 हजार गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के बाद अध्ययन में यह देखा गया है कि टीका सुरक्षित है.इसके बाद इंग्लैंड में गर्भवती महिलाओं में टीकाकरण शुरू हुआ। वहां भी कोई परेशानी नहीं देखी गई। कोई भी टीका जीवित वायरस से नहीं बना। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। गर्भावस्था में टिटनेस, टीडैप (टिटनेस, काली खांसी व डिप्थीरिया) व फ्लू के टीके पहले से दिए जाते हैं‌संभव हो तो दोनों डोज टीका गर्भावस्था के 36वें सप्ताह से पहले ले लेना चाहिए। क्योंकि सामान्य तौर 36 सप्ताह के बाद बच्चे को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए अलग व्यवस्था है। हालांकि टीकाकरण करवाने के बाद हल्के बदन दर्द व बुखार की शिकायत हो सकती है.इससे डरने की जरूरत नहीं है।

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