चापलूस मीडिया व समाज ठेकेदार के कारण जीलानी बिल्डिंग हादसे में शिकार घायलो का इलाज़ नहीं

भिवंडी।। भिवंडी मनपा क्षेत्र अंर्तगत 21 सितम्बर भोर 3:15 बजे के दरम्यान पटेल कंपाउड स्थित जीलानी बिल्डिंग भरभरा कर धराशायी हो गयी थी.जिसमें महिलाएं, पुरूष सहित नाबालिग बच्चें 38 लोग इस मलबे में दबकर मौत हो गयी तथा 25 लोग घायल हो गये थे। हादसे के सुबह से तमाम मीडिया कर्मी व बड़े बड़े नेता तीन दिन तक मौत का तमाशा दिखाने व देखने के लिए आते रहे तथा बड़े बड़े चुनावी वादों की तरह वादा कर  मीडिया कर्मियों के सामने फोटो खिंचवाकर चलते बनें। मीडिया कर्मी भी तीन दिनों तक नेताओं के आगे पीछे झूठ का पुलिंदा बांध कर डेरा जमाकर बैठे रहे‌ तथा नेताओं की लाल पिला करते रहे। किन्तु एक महिना बीत जाने के बाद भी मृतकों के परिजनो को मदद नहीं दिया गया जिसके कारण उनका परिवार दर दर भटकने के लिए मजबूर है और आश्चर्य बात है कि घायलो को उपचार के लिए मनपा प्रशासन व राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसके कारण इस बिल्डिंग हादसे में घायलो का इलाज नहीं हो पा रहा है। 

इस हादसे में घायल एक 25 साल के व्यक्ति की आँख चली गयी जिसका ऑपरेशन होना था किन्तु इस त्रासदी में सबकुछ बर्बाद होने के कारण ऑपरेशन नहीं हो सका. इसी तरह नायर अस्पताल में भर्ती एक अन्य मरीज़ को उपचार करवाने में उसके परिवार को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

हादसे में गंभीर रूप से घायल 25 वर्षीय हैदर सलमानी के पिता अनवर सलमानी के अनुसार “मेरे बेटे के शरीर पर गहरी चोटें आई है  उसका बायां पैर उनके शरीर से लगभग अलग हो गया था.उसे पहले जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था.डाॅक्टरों ने कहा कि उसका बायां पैर बचाना मुश्किल है जिसके कारण उसे नायर अस्पताल ट्रांसफर करवा लिया गया.यहां के डॉक्टरों ने बड़े प्रयास से उसका इलाज किया. किन्तु बाहर से दवाइयां लाने के लिए हमलोग के पास पैसे नहीं है।
     
अनवर सलमानी के अनुसार, मेरी पत्नी, 2 बेटियाँ, 3 बेटे और मै इस त्रासदी में घायल हो थे.मेरे बच्चे इस समय मेरे भाई के घर पर है.हमारे पास जो कुछ है वह बर्बाद हो गया है.मै नायर अस्पताल में रहकर हैदर का देखभाल करता हूँ.इस त्रासदी ने मेरा पूरा जीवन बर्बाद कर दिया है। ”
 
 इस हादसे में पीड़ित इब्राहिम सरदार अली शेख ने कहा, इस दुखद दुर्घटना में मेरे 8 वर्षीय बेटे की मृत्यु हो गयी.मेरी बेटियाँ भी घायल हैं और मैं भी गंभीर रूप से घायल हूँ.इन चोटों के बावजूद, मै अपनी दोनों आँखों को हुए नुकसान से बहुत चिंतित हूँ.एक आंख से बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही है. दूसरी आंख की हालत भी ठीक नहीं है.आंखों का ऑपरेशन करवाना बहुत जरुरी है जो वर्तमान में बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है।

जुपिटर अस्पताल ने आँख के ऑपरेशन के लिए 75 हजार रुपये की मांग किया था.किन्तु काफी विनती के कारण 35 हजार रुपये में ऑपरेशन करने के लिए मान गये है.मेरे पास एक पैसा नहीं है मुझे नहीं लगता कि मै ऑपरेशन करवा पाऊंगा। 20 अक्टूबर को ऑपरेशन होना निश्चय हुआ था किन्तु पैसा नहीं जमा करने के कारण ऑपरेशन नहीं हो सका।
   
एक सवाल के जवाब में, इब्राहिम शेख ने कहा, मै एक मामूली वायरमैन हूं। मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ गहने बनाए थे, लेकिन इस त्रासदी में सब कुछ नष्ट हो गया। मुझे लगा कि सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। अगर उन्हें पैसे मिलते तो उनकी आंखों की सर्जरी होती, लेकिन पीड़ितों को अभी तक मनपा प्रशासन व सरकार ने एक पैसे की भी मदद नहीं किया है

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