सत्यगाथा


बाघ हुये है हिंदवी , दंत और नख हीन 

भाई चारे  की सुना , बजा रहे बहु बीन 

बजा रहे बहु बीन , हीन मंदिर के अंदर 

गाय  काटने वालों से , क्या गोपी चंदर 

कह बृजेश कविराय ये जो इफ्तारी देते 

अपनी - अपनी  मूर्खों , अरे सुपारी देते 

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