सत्यगाथा

जहर  उगलते  रोज  ही , करते  रहे विलाप 

आखिर में हो ही गया फिर से भरत मिलाप 

फिर से भरत मिलाप , ताप है बढ़ा सियासी 

दंग   विपक्षी   खेमा  , पसरी  बहूत  उदासी 

कह   बृजेश   कविराय , पुरानी  बातें  छोड़े 

मिले  है  उद्धव  शाह , चलो गठबंधन जोड़े 

                                                  बृजेश दुबे....

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