
संकटकाल में स्वयं घोषित सफेद पोश उत्तर भारतीय नेता नदारद भूमिपुत्र सक्रीय
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Apr 01, 2020
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भिवंडी। देश में फैली कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए सरकार अनेक उपाय योजना शुरू कर रखी है। इसके साथ ही जनता कर्फ्यू के बाद पूरे देश में 21 दिनों तक लाक डाउन कर धारा 144 व साथरोग कायदा सरकार ने लागू रखा हैं. लाइलाज इस महामारी को रोकने के लिए एकमेव उपचार जनता घरों में ही रहे. तभी इस महामारी के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता हैं.21 दिनों तक लाक डाउन में सबसे ज्यादा मार दिहाडी मजदूरों सहित छोटे उद्योग करने वाले व्यापारियों को हुआ हैं.भिवंडी मजदूरों का शहर हैं.इस पावर लूम नगरी में लाखों मजदूर उत्तर प्रदेश ,बिहार , मध्य प्रदेश , उडीसा, आदि राज्यों से आकर कंपनियां सहित अन्य उद्योग व व्यापार तथा व्यवसाय में दिहाडी मजदूरी कर अपने परिवार का लालन पोषण करते हैं.किन्तु लाक डाउन के कारण इनकी रोजी रोटी पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ हैं. जिसके कारण इनके खाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा हैं. काई मजदूर अपना परिवार के साथ पैदल ही मध्य प्रदेश , बिहार , उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गये. किन्तु बहुत आश्चर्य की बात हैं कि इन्हीं मजदूरों का मसीहा कहलाने वाले स्वयं घोषित छुटभैया उत्तर भारतीय नेता भिवंडी शहर के फर्जी व स्वयं घोषित पतरचाटों से न्युज जैसा विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर वायरस की तरह वायरल करने वाले नेता नदारद हैं महाराष्ट्र राज्य के भूमि पुत्रों ने इन आप्रवासी मजदूरों को ध्यान रखते हुए इनके खाने की व्यवस्था करने के लिए अनेक दानशूर सामने आकर मदत का हाथ बढ़ा रहे है.कोई अनाज बांटवा रहा हैं तो कोई सैकड़ों मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था किया हैं. तो काई दानशूर मजदूरों को मुफ्त मकान दे रखा हैं.इस आपदा के संकटकाल में कोई भूखा न रह जाये. इसके लिए भिवंडी पुलिस उपाायुक्त राजकुमार शिंदे ने 24 घंटे इनके ऊपर ध्यान केंद्रित कर के रखा हुआ हैं. मजदूरों के पलायन व महामारी के फैलाव को रोकने के लिए पूरी तरह से शासन व प्रशासन मुस्तैद व्यवस्था कर रखी हुई हैं दूसरी तरफ इन अप्रवासी मजदूरों के नेता कहलवाने वाले चुनाव में इनका सौंदाकर कर उम्मीदवारों से मोटी रकम डकारने वाले कामतघर , अंजुर फाटा , गायत्री नगर , शेलार , खोणी , कटाई , कारिवली , न्वाही पाडा, रावजी नगर में रहने वाले मजदूरों के बीच छुटभैया स्वयं घोषित उत्तर भारतीय नेता इस आपदा काल में नदारद हैं.चुनाव में उम्मीदवारों की चापलूसी कर स्टेज पर आगे की कतार में बैठने के लिए सपना देखने वाले इन छुटभैया नेताओं की औकात नहीं हैं इस संकट की घड़ी में अपने जन्मभूमि के लोगो की मदत इस कर्मभूमि पर कर सकें.ऐसे छुटभैया स्वयं घोषित नेता हर राजनीतिक दलों में सक्रिय हैं.आज इस संकट की घड़ी में छुटभैया नेता डर के मारे खुद ही बिल में बैठे हुए हैं.
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