सत्यगाथा


कर्नाटक   हैरान  है ,  हुई  है  जनता  दंग 
बदल  रहें  सुर साज है , और बदलता रंग 
और  बदलता  रंग , तंग  है  धीरज  खोते 
जहर है सत्ता बोल सिसककर स्वामी रोते 
कह बृजेश कविराय बदलती पल मे पारी 
ढूंढ  रहें   है   मौका ,  शाह  करे   तैयारी 

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